Education Staffing Reform 2025: राजस्थान सरकार ने एक दशक बाद शिक्षा विभाग में शिक्षक पदस्थापन की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाने के लिए नई स्टाफिंग प्रणाली लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है यह निर्णय सरकारी स्कूलों में संसाधनों के यथोचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है इस प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत 13 मार्च को जारी एक प्रस्ताव के माध्यम से हुई, जिसे माध्यमिक शिक्षा निदेशक और समग्र शिक्षा अभियान के अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक को भेजा गया है।
प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताएँ और नई प्रणाली की रूपरेखा
इस प्रस्ताव के अंतर्गत स्कूलों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिसमें छात्र नामांकन की संख्या, वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं में विषयों की उपलब्धता और विद्यालय का स्तर (प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, या वरिष्ठ माध्यमिक) को आधार बनाया गया है प्रत्येक श्रेणी के लिए निश्चित सेक्शन निर्धारित किए गए हैं, ताकि वास्तविक ज़रूरत के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जा सके।
एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि प्रस्ताव में विशेष शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति का भी प्रावधान रखा गया है प्रत्येक पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) क्षेत्र में एक ग्रेड-3 विशेष शिक्षक की नियुक्ति का सुझाव दिया गया है राज्य में लगभग 15,000 पीईईओ क्षेत्र हैं, जिससे यह पहल समावेशी शिक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है इसके अतिरिक्त, जिन ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 10,000 या उससे अधिक है, वहां ग्रेड-2 विशेष शिक्षा प्रवक्ता की नियुक्ति का भी प्रस्ताव शामिल किया गया है।
शिक्षकों की नियुक्ति और पदों की संख्या में संभावित परिवर्तन
शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव प्रारंभिक स्तर पर है और इसमें सुझाए गए बदलावों को लागू करने से पहले विस्तृत चर्चा की जाएगी इस समीक्षा प्रक्रिया में विभागीय विशेषज्ञों, शिक्षकों के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षक स्कूलों में आवश्यकता के अनुसार तैनात किए जाएं।
राजस्थान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष, विपिन प्रकाश शर्मा के अनुसार, वर्ष 2015 के बाद अब 2025 में यह नई स्टाफिंग प्रणाली प्रस्तावित की गई है दस वर्षों की लंबी प्रतीक्षा और मांग के बाद यह प्रक्रिया प्रारंभ हुई है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 38,000 नए पदों की संभावनाएं बन सकती हैं इस नई प्रणाली से न केवल सीधी भर्ती के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि पदोन्नति की राह भी प्रशस्त होगी।
समावेशी और व्यवहारिक शिक्षा की दिशा में निर्णायक पहल
नई स्टाफिंग प्रणाली को शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार की दृष्टि से देखा जा रहा है प्रस्तावित संरचना से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार न केवल वर्तमान आवश्यकता के अनुरूप संसाधनों का पुनर्वितरण करना चाहती है, बल्कि दूरगामी प्रभाव वाले फैसले लेकर भविष्य की शिक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाना चाहती है।
इस नई प्रणाली से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता में संतुलन आएगा विशेष शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्तियों का समावेश यह दर्शाता है कि सरकार शिक्षा को समावेशी और सबके लिए सुलभ बनाने के प्रति गंभीर है साथ ही, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की तैनाती से शैक्षणिक गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की आशा की जा रही है।
भावी दिशा और संभावनाएं
सरकार द्वारा तैयार किया गया यह प्रस्ताव अब सभी संबंधित पक्षों के साथ साझा किया जाएगा, और इसके आधार पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद अंतिम रूप से कार्यान्वयन किया जाएगा यदि प्रस्तावित परिवर्तनों को यथावत लागू किया जाता है, तो यह न केवल शिक्षा विभाग की कार्यक्षमता में सुधार लाएगा, बल्कि राज्य के लाखों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगा।
नई स्टाफिंग प्रणाली का कार्यान्वयन यदि सफलता पूर्वक होता है, तो यह पहल न केवल राजस्थान के लिए बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श बन सकती है यह शिक्षा व्यवस्था को समयानुकूल और परिणामोन्मुख बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिसकी सफलता राज्य के भविष्य को आकार दे सकती है।