कल्पना कीजिए, आप एक बटन दबाते हैं और एक सेकेंड से भी कम समय में नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी, जिसमें हज़ारों फिल्में और वेब सीरीज़ हैं, आपके डिवाइस में डाउनलोड हो जाती है। या फिर स्टीम (Steam) पर मौजूद हर एक गेम, चाहे वो काउंटर-स्ट्राइक हो या बाल्डर्स गेट 3, पलक झपकते ही आपके कंप्यूटर में हो। यह कोई साइंस फिक्शन फिल्म का सीन नहीं, बल्कि हकीकत है। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) के वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है, जिसने इंटरनेट की स्पीड के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
उन्होंने 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकंड (Pbps) की अविश्वसनीय स्पीड हासिल की है। इसे आसान भाषा में समझें तो यह लगभग 10 लाख गीगाबिट्स प्रति सेकंड (Gbps) है। यह स्पीड भारत की मौजूदा औसत ब्रॉडबैंड स्पीड (करीब 63.55 Mbps) से 1.6 करोड़ गुना से भी ज्यादा तेज है।
कैसे हुआ यह चमत्कार? जानिए इस तूफानी स्पीड के पीछे का असली राज
यह जादुई स्पीड कोई सामान्य केबल से हासिल नहीं हुई है। इसके पीछे दो मुख्य टेक्नोलॉजी काम कर रही हैं, जिन्हें समझना बेहद आसान है।
एक केबल नहीं, बल्कि चार लेन का ‘सुपर हाईवे’
आम तौर पर हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले फाइबर ऑप्टिक केबल में डेटा भेजने के लिए एक ‘कोर’ या रास्ता होता है, जैसे किसी सिंगल-लेन सड़क पर गाड़ियां चलती हैं। लेकिन जापानी शोधकर्ताओं ने एक खास तरह का 4-कोर वाला ऑप्टिकल फाइबर केबल इस्तेमाल किया। इसे आप एक 4-लेन वाले सुपर हाईवे की तरह समझ सकते हैं, जहाँ हर लेन से एक साथ डेटा भेजा जा सकता है, जिससे स्पीड चार गुना बढ़ जाती है। यह एक बड़ी सफलता है क्योंकि इसके लिए मौजूदा फाइबर केबल के इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सिग्नल को ताकतवर बनाने का गुप्त फॉर्मूला
जब डेटा रोशनी के रूप में लंबी दूरी तय करता है, तो उसका सिग्नल कमजोर पड़ने लगता है। इसे रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने वेवलेंथ डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (WDM) और खास तरह के ऑप्टिकल एम्पलीफायर्स का इस्तेमाल किया। यह तकनीक एक ही केबल में डेटा को अलग-अलग रंगों की रोशनी में बांट देती है, और एम्पलीफायर्स एक पावर बैंक की तरह इस रोशनी को कमजोर पड़ने से पहले ही फिर से चार्ज कर देते हैं। इसी वजह से 51 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक भी स्पीड में कोई कमी नहीं आई।
सिर्फ डाउनलोडिंग नहीं, AI और 6G की दुनिया बदल देगी यह स्पीड
यह रिकॉर्ड सिर्फ फिल्में और गेम्स जल्दी डाउनलोड करने के बारे में नहीं है। इसका असली असर भविष्य की टेक्नोलॉजी पर पड़ेगा। यह स्पीड अगली पीढ़ी के मोबाइल नेटवर्क, यानी 6G के लिए रीढ़ की हड्डी साबित होगी। इससे दुनिया भर के डेटा सेंटर एक लोकल नेटवर्क की तरह तेजी से काम कर पाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सेल्फ-ड्राइविंग कारें और रियल-टाइम भाषा ट्रांसलेशन जैसे टूल जो आज भी संघर्ष करते हैं, वे इस स्पीड पर मक्खन की तरह चलेंगे। यह उस भविष्य की नींव है जिसकी हम कल्पना कर रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल: यह स्पीड भारत कब पहुंचेगी?
जापान में हुआ यह चमत्कार लैब में हुआ है और इसे हमारे घरों तक पहुंचने में अभी काफी समय लग सकता है। इसके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है लागत। भले ही यह टेक्नोलॉजी मौजूदा केबल्स पर काम कर सकती है, लेकिन राउटर, सर्वर और हमारे आपके कंप्यूटर और मोबाइल जैसे उपकरणों को इस स्पीड को संभालने के लिए पूरी तरह से बदलना होगा, जिसमें अरबों डॉलर का निवेश लगेगा।
भारत जैसे देश में, जहाँ अभी भी फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर हर कोने तक नहीं पहुंचा है, यह सफर और भी लंबा है। जहाँ जापान 10 लाख Gbps की स्पीड टेस्ट कर रहा है, वहीं भारत में हम अभी 100 Mbps की स्पीड को ही तेज मानते हैं। इसलिए, इस तूफानी स्पीड का अनुभव करने के लिए हमें अभी कई साल और इंतजार करना होगा। लेकिन यह तय है कि भविष्य की डिजिटल दुनिया की पहली झलक हमें मिल चुकी है।