Run AC Free for 24 Hours Using Solar: सोलर पावर से चलाएं AC 8kW सिस्टम में हर महीने ₹0 बिजली बिल

Run AC Free for 24 Hours Using Solar: आज के दौर में जब बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं और गर्मी का प्रकोप भी लगातार तेज हो रहा है, ऐसे में घरों में एयर कंडीशनर का उपयोग आम होता जा रहा है लेकिन एसी चलाने से बिजली का मासिक खर्च हजारों रुपये तक पहुंच सकता है।

ऐसे में एक स्थायी और लागत-कटौती वाला विकल्प सामने आता है — सोलर पैनल खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए जो दिन-रात एसी चलाना चाहते हैं, सौर ऊर्जा पर आधारित सिस्टम एक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल समाधान बन सकता है।

1.5 टन के एसी की बिजली खपत और अनुमानित जरूरत

इनवर्टर तकनीक से युक्त 1.5 टन के आधुनिक एसी सामान्यत: प्रति घंटा 1.2 से 1.5 किलोवाट बिजली की खपत करते हैं औसतन यदि इसे 1.4 किलोवाट प्रति घंटा माना जाए, तो 24 घंटे में यह लगभग 33.6 यूनिट बिजली की मांग करता है इसका अर्थ है कि यदि आप चाहते हैं कि आपका एसी बिना ग्रिड की बिजली के 24 घंटे चले, तो आपको एक ऐसा सोलर सिस्टम चाहिए जो प्रतिदिन कम से कम 34 यूनिट बिजली का उत्पादन कर सके।

कितने किलोवाट का सोलर सिस्टम होगा उपयुक्त

दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में एक किलोवाट का सोलर पैनल सिस्टम औसतन पांच यूनिट बिजली प्रतिदिन उत्पन्न करता है इस हिसाब से 34 यूनिट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 7.5 किलोवाट के सिस्टम की आवश्यकता पड़ेगी व्यावहारिक दृष्टिकोण से इसे 8 किलोवाट मान लेना अधिक उचित होगा ताकि कुछ अतिरिक्त बिजली का भी उत्पादन हो सके जो अन्य उपकरणों के लिए उपयोगी हो।

सोलर सिस्टम के लिए कितनी जगह की आवश्यकता होगी

8 किलोवाट का सोलर सिस्टम स्थापित करने के लिए लगभग 600 से 700 वर्ग फीट स्थान की आवश्यकता होती है यह जगह छत पर या किसी ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहां दिनभर सीधी धूप आती हो पर्याप्त धूप की उपलब्धता सोलर सिस्टम की कार्यक्षमता के लिए अनिवार्य होती है, क्योंकि कम धूप की स्थिति में उत्पादन क्षमता घट जाती है।

कौन सा सोलर सिस्टम चुनना होगा लाभकारी

सोलर सिस्टम मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: ऑन ग्रिड, हाइब्रिड और ऑफ ग्रिड ऑन ग्रिड सिस्टम सीधे बिजली मीटर से जुड़ता है और सबसे सस्ता विकल्प माना जाता है यह उस स्थिति में उपयुक्त है जहां दिन में भरपूर धूप मिलती है और बिजली का नियमित उपयोग होता है हाइब्रिड सिस्टम में बैटरी बैकअप की सुविधा होती है, जिससे यह अधिक लागत वाला होता है लेकिन बिजली कटौती के समय भी उपयोगी रहता है ऑफ ग्रिड सिस्टम पूरी तरह बैटरियों पर निर्भर होता है और इसकी लागत सर्वाधिक होती है 24 घंटे एसी चलाने की आवश्यकता को देखते हुए ऑन ग्रिड सिस्टम को सबसे उपयुक्त विकल्प माना जा सकता है।

संभावित लागत और सरकारी सहायता

यदि आप 8 किलोवाट का ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं, तो इसकी लागत लगभग 4 से 4.5 लाख रुपये तक आती है भारत सरकार की पीएम सूर्य घर योजना के अंतर्गत इस पर 20 से 30 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्राप्त की जा सकती है, जिससे कुल लागत में अच्छी खासी कमी आ जाती है वहीं, यदि आप हाइब्रिड सिस्टम को चुनते हैं, तो इसकी कीमत 5.5 से 6.5 लाख रुपये के बीच हो सकती है ऑफ ग्रिड सिस्टम की लागत 6.5 से 7 लाख रुपये तक पहुंच सकती है, जिसमें बैटरियों की कीमत मुख्य घटक होती है।

क्या यह निवेश वाकई फायदेमंद है

जब हम मासिक बिजली बिल को देखें जो केवल एसी के कारण हजारों रुपये तक पहुंच सकता है, तो सोलर सिस्टम पर एकमुश्त निवेश एक दीर्घकालिक लाभ का सौदा साबित होता है इसके अलावा, यह पर्यावरण की दृष्टि से भी सकारात्मक कदम है यदि आप दिल्ली या एनसीआर जैसे क्षेत्र में रहते हैं जहां साल के अधिकांश महीनों में धूप प्रचुर मात्रा में मिलती है, तो सोलर सिस्टम लगवाना एक समझदारी भरा निर्णय होगा।

अतः, 1.5 टन का एसी यदि 24 घंटे चलाना है, तो 8 किलोवाट का ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम एक उत्तम समाधान के रूप में सामने आता है, जो आपके बिजली बिल को शून्य के करीब ला सकता है और साथ ही भविष्य में भी ऊर्जा सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

Leave a Comment